A beautiful poem by Pooja!

तुम…….
मैंने नहीं चुना तुम्हें
तुम दोनों की कोशिकाओं से बने इस जिस्म को
तुम ने अपनी संतान माना
और मैंने तुम्हें माँ-बाप,
जो हमें जोड़ता है
या तोड़ता है
वो इस से कहीं बड़ा है!
तुम……..
तुम और मैं
शायद एक ही अस्थि-मज्जा से बने
भाई-बहन, परिवार
लेकिन हम में जो एक सा है
और जो कटुता है
वो जटिलता है
जीवन की-
तुम और मैं
तुम मेरा सर्कल
मेरे दोस्त, हमकदम
हमप्याला, हमनिवाला
तुम कभी पास, कभी दूर
कभी दुनिया से मजबूर
हमारे यहाँ दोस्ती
रिश्ता नहीं होती
नहीं मिलती औरतों को इसकी अनुमति
तुम बस तुम
जिसमें मैं नहीं बची
हमसफ़र हुए
एक घर हुए
तल्खियाँ फिर भी खिड़कियों से
चुपचाप परस गयीं
पहले हम एक थे
अब हम दो हुए
तुम मुझसे बनी
मुझ सी लेकिन मेरी नहीं
मेरी बेटी- मेरी उड़ान
तुमसे मैंने सीखा
खुद को मैं ही रखना
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